मजबूरियाँ

मजबूरियाँ
कमजोर सी है
मगर
जिम्मेदारी मार देती है
इन्सान को,
धमकियों के बजाय
जिम्मेदारी सिखा देती है
जीना
शैतान को,
रह ले खुले में इन्सान
मगर कुछ जिम्मेदारियाँ
बनावा देती है
मकान को।

©अग्यार’बिश्नोई’

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