रचनाकोश… तो क्या करे 1 Feb 2022 ये ख्याल,वो हालत,खराब मौसम हैइस मौसम कीबात करे तो क्या करे माहोल थोड़ा गर्म हैपत्ते नये ,वृक्ष पुराना ये सदियों से चला आ रहा जमानाबात चरम हैरखने वाले थोड़े नरम है। ©अग्यार'बिश्नोई'
रचनाकोश… हुई भोर 1 Feb 2022 मन मीत संग प्रीत,लगी मन मोहन,तन सोहवनहुई भोर ,जगी डोर ,छुई छोर ,निकला मोरचुगवन दाना,खेलत श्यामानील गगन,छत्र छायाविचित्र माया,चित्रित काया। ©अग्यार'बिश्नोई'
रचनाकोश… एक पुराना महल 1 Feb 2022 अपनी नींव पर खड़ा पत्थर आ रहा उफानबहुत समय से झैल रहा आंधी पानी और तूफानकब तक समझोगे तुम उस खंडहर की मजबूरियाँछत और आंगन की बनाए रखता है दूरियाँउड़…
रचनाकोश… चूल्हे की लकड़ी हूँ 1 Feb 2022 चूल्हे की लकड़ी हूँजलकर खत्म हो जाऊँगीफिर भी मेरी जली देह को किसी के काम के लियेन्यौछावर कर जाऊँगीछोड़ सब मोहजीवन त्याग जाऊँगीफिर भी जीवन को सुन्दर स्वपन दिखाऊँगीराख से…